सेंसेक्स क्या है और इसके प्रकार type of Sensex 1

Sensex

आसान भाषा में जानें सेंसेक्स क्या है और इसके प्रकार

आपने शायद ये सुना होगा कि “आज Sensex हरे (हरे रंग का मतलब ऊपर) में कारोबार कर रहा है” या “सेंसेक्स लाल (लाल रंग का मतलब नीचे) हो गया” लेकिन कभी सोचा है कि ये सेंसेक्स आखिर है क्या?

सोचिए, भारतीय शेयर बाजार में हजारों कंपनियां लिस्टेड हैं. अब हर कंपनी के शेयर की तो रोज खबर नहीं रख सकते ना! तो यहीं पर Sensex आता है. ये एक तरह का बेंचमार्क है, जो पूरे शेयर बाजार की सेहत बताता है.

आज की इस पोस्ट में, मैं आपको सेंसेक्स के बारे में सिलसिलेवार तरीके से बताऊंगी. आसान भाषा में समझेंगे कि ये Sensex कैसे काम करता है, और इसके अलग-अलग प्रकार कौन से हैं. तो फिर देर किस बात की, चलिए पढ़ते हैं.

सेंसेक्स का मतलब क्या होता है? Understanding Sensex

अरे वाह Sensex को तो आपने “बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज” का ही एक छोटा रूप समझ लीजिए. पूरा नाम तो होता है S&P BSE Sensex, लेकिन हम उसे सेंसेक्स ही कहते हैं.

अब ये Sensex है क्या? ये एक तरह का रिपोर्ट कार्ड है, जो पूरे शेयर बाजार का हाल बताता है. इसमें भारत की सबसे बड़ी और नामी कंपनियों को शामिल किया जाता है. मान लीजिए, आपने क्लास में टॉप 30 स्टूडेंट्स का परफॉर्मेंस देखकर अंदाजा लगा लिया कि पूरी क्लास कैसी चल रही है, कुछ ऐसा ही मामला है सेंसेक्स का.

भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स क्यों जरूरी है?

ये सेंसेक्स शेयर बाजार का मूड बताने का काम करता है. मान लीजिए, सेंसेक्स हरे रंग में कारोबार कर रहा है, तो समझिए ज्यादातर कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ रहे हैं. वहीं, अगर सेंसेक्स लाल हो गया है, तो मतलब ज्यादातर कंपनियों के शेयरों में गिरावट है. तो कुल मिलाकर, ये हमें बाजार की दिशा समझने में मदद करता है.

सेंसेक्स में कौन-कौन सी कंपनियां शामिल हैं?

Sensex में कुल 30 कंपनियां होती हैं. ये कंपनियां अलग-अलग सेक्टर्स से चुनी जाती हैं, जैसे बैंकिंग, FMCG (डेली यूज्ड सामान बनाने वाली कंपनियां), IT, ऑटोमोबाइल, इत्यादि. ध्यान देने वाली बात ये है कि ये कंपनियां अपने-अपने सेक्टर में सबसे आगे वाली और बड़ी कंपनियां होती हैं.

सेंसेक्स की गणना कैसे होती है?

थोड़ा सा गणित तो है इसमें, पर घबराइए नहीं  इसे समझने का आसान तरीका ये है कि सेंसेक्स उन 30 कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन (कुल मार्केट वैल्यू) को मिलाकर एक फॉर्मूले के हिसाब से कैलकुलेट करता है.  मार्केट कैपिटलाइजेशन का मतलब है कि वो कंपनी कितनी बड़ी है, यानी उसके शेयरों की कुल वैल्यू कितनी है.  लेकिन सिर्फ कुल वैल्यू नहीं, बल्कि वो वैल्यू मायने रखती है जो आम लोगों के लिए शेयर खरीदने-बेचने के लिए उपलब्ध है.

शेयर मार्केट इंडेक्स के प्रकार Types of Stock Market Index

Sensex

बेंचमार्क इंडेक्स (Benchmark Indices)

ये वो सबसे पॉपुलर इंडेक्स होते हैं, जिन्हें सुनकर ज्यादातर लोगों को अंदाजा हो जाता है कि पूरा शेयर मार्केट कैसा चल रहा है. ये ऐसे रिपोर्ट कार्ड होते हैं, जिनमें पूरे मार्केट की टॉप कंपनियों को शामिल किया जाता है.

कितने महत्वपूर्ण हैं? ये इंडेक्स शेयर बाजार की दिशा बताने का सबसे आसान तरीका माने जाते हैं

उदाहरण:

  • निफ्टी 50 (Nifty 50): ये नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स है, जिसमें भारत की 50 सबसे बड़ी कंपनियां शामिल हैं.
  • बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex): जैसा कि हम पहले ही जान चुके हैं, ये बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स है और इसमें भी 30 बड़ी कंपनियां शामिल हैं.

सेंसेक्स और निफ्टी में मुख्य अंतर

ये दोनों ही भले ही बेंचमार्क इंडेक्स हैं, पर फिर भी इनमें कुछ ना कुछ तो अंतर होगा ही ना! तो आइए देखते हैं वो कौन से अंतर हैं.

पूरा नाम और मालिक (Full Form and Ownership)

  • सेंसेक्स: पूरा नाम है S&P BSE Sensex. ये बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का इंडेक्स है.
  • निफ्टी: पूरा नाम है Nifty 50. ये नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का इंडेक्स है.

दूसरे शब्दों में कहें, तो ये दोनों अलग-अलग स्टॉक एक्सचेंजों के इंडेक्स हैं.

इंडेक्स में शामिल कंपनियों की संख्या (Number of Companies in the Index)

  • सेंसेक्स: जैसा कि नाम से ही पता चलता है, सेंसेक्स में 30 कंपनियां शामिल हैं.
  • निफ्टी: निफ्टी 50 में, जैसा कि नाम बताता है, 50 कंपनियां शामिल हैं.

तो कुल मिलाकर, निफ्टी में सेंसेक्स के मुकाबले दोगुनी से भी ज्यादा कंपनियां शामिल हैं.

आधार वर्ष और मूल्य (Base Year and Value)

  • सेंसेक्स: सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 माना जाता है, और उस समय इसे 100 के बेस वैल्यू पर लॉन्च किया गया था.
  • निफ्टी: निफ्टी का आधार वर्ष 1995 है, और इसे 1000 के बेस वैल्यू पर लॉन्च किया गया था.

हालांकि, ये बेस वैल्यू सिर्फ शुरुआत को दर्शाते हैं.  समय के साथ कंपनियों के परफॉर्मेंस के आधार पर इनकी वैल्यू बदलती रहती है.

विदेशी एक्सचेंजों पर कारोबार (Foreign Exchanges Traded On)

  • सेंसेक्स: फिलहाल, Sensex सिर्फ भारत के बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर ही ट्रेड होता है.
  • निफ्टी: निफ्टी को कुछ विदेशी एक्सचेंजों, जैसे सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज (SGX Nifty) पर भी ट्रेड किया जाता है.

सेंसेक्स का विकास और प्रदर्शन (Evolution and Performance of Sensex)

आज सेंसेक्स भले ही ऊंचाइयों पर है, लेकिन यहां पहुंचने तक इसने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. आइए कुछ महत्वपूर्ण पड़ावों पर नजर डालते हैं.

  • 1979: सेंसेक्स की शुरुआत 100 के बेस वैल्यू के साथ हुई.
  • 1990: सेंसेक्स पहली बार 1,000 के आंकड़े को पार कर गया.
  • 2006: सेंसेक्स 10,000 के पार पहुंचा.
  • 2014: 25,000 का आंकड़ा पार हुआ.
  • 2024: April में सेंसेक्स ने 75,000 के नए रिकॉर्ड को छुआ

ये कुछ प्रमुख मील के पत्थर हैं, जिन्होंने सेंसेक्स के सफर को यादगार बनाया है.

प्रदर्शन मापदंड: 10-वर्षीय और 5-वर्षीय वार्षिक रिटर्न (Performance Metrics: 10-year and 5-year Annualized Returns)

यह बताना थोड़ा मुश्किल है कि Sensex ने कैसा प्रदर्शन किया है, क्योंकि इसका प्रदर्शन हर साल बदलता रहता है. लेकिन अगर हम पिछले 10 साल या 5 साल के औसत रिटर्न को देखें, तो हमें इस बात का अंदाजा हो सकता है कि इसने कैसा प्रदर्शन किया है.

अब तक, सेंसेक्स ने अपने निवेशकों को लंबे समय में अच्छा खासा रिटर्न दिया है. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि शेयर बाजार हमेशा उतार-चढ़ाव वाला होता है, और भविष्य में कैसा प्रदर्शन करेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है.

सेंसेक्स में प्रमुख गिरावट और सुधार (Major Plunges and Recoveries in Sensex)

शेयर बाजार हमेशा एक तरफ नहीं चलता.  कुछ समय तो ऊपर जाता है, तो कुछ समय नीचे आ जाता है. सेंसेक्स के साथ भी ऐसा ही हुआ है.

इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं, जब Sensex में भारी गिरावट आई है. उदाहरण के लिए, 2008 में वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान सेंसेक्स में काफी गिरावट आई थी. लेकिन, यह गिरावट हमेशा के लिए नहीं रहती.  कुछ समय बाद बाजार संभलता है और फिर से ऊपर चढ़ना शुरू कर देता है.

ये उतार-चढ़ाव शेयर बाजार का हिस्सा हैं, और यह सेंसेक्स के साथ भी चलता रहता है.

फ्री-फ्लोट मार्केट-भारित सूचकांक (Free-Float Market-Weighted Index)

सेंसेक्स को सिर्फ कंपनियों की संख्या के हिसाब से नहीं, बल्कि उनके मार्केट कैपिटलाइजेशन (कुल मार्केट वैल्यू) के हिसाब से भी देखा जाता है.  लेकिन यहां एक ट्विस्ट है

Sensex सिर्फ उन शेयरों को ध्यान में रखता है, जो आम जनता के लिए आसानी से खरीदने और बेचने के लिए उपलब्ध हैं.  इन्हें ही फ्री-फ्लोट शेयर कहा जाता है.

उदाहरण के लिए, किसी कंपनी के सभी शेयरों में से कुछ प्रमोटरों या सरकार के पास हो सकते हैं. ये शेयर आसानी से उपलब्ध नहीं होते.  सेंसेक्स सिर्फ उन्हीं शेयरों को अपनी गणना में शामिल करता है, जिन्हें आप और मैं आसानी से खरीद सकते हैं.

तो कुल मिलाकर, Sensex एक फ्री-फ्लोट मार्केट-भारित सूचकांक है, जो फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर कंपनियों को weightage (वेटेज – weightage का मतलब महत्व) देता है.

गणना सूत्र (Calculation Formula)

सेंसेक्स की गणना थोड़ी जटिल जरूर है, लेकिन इसे आसान शब्दों में समझाया जा सकता है.  देखिए, हर कंपनी का एक फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन होता है.  सेंसेक्स इन 30 कंपनियों के फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को एक खास फॉर्मूले के हिसाब से मिलाकर एक नंबर देता है.  इस फॉर्मूले में एक बेस ईयर (आधार वर्ष) और बेस वैल्यू (आधार मूल्य) भी शामिल होता है.

चिंता मत करिए, आपको ये जटिल फॉर्मूले याद रखने की जरूरत नहीं है!  आपको बस इतना समझना है कि सेंसेक्स 30 कंपनियों के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए एक समग्र मूल्य देता है.

आधार वर्ष और आधार मूल्य (Base Year and Base Value)

आपने देखा होगा कि हमने अभी बेस ईयर (आधार वर्ष) और बेस वैल्यू (आधार मूल्य) की बात की.  आइए, इन्हें थोड़ा और विस्तार से समझते हैं:

  • आधार वर्ष: वह साल होता है, जिसे Sensex की शुरुआत के लिए चुना जाता है. सेंसेक्स के लिए आधार वर्ष 1978-79 है.
  • आधार मूल्य: वह मूल्य होता है, जिसे आधार वर्ष पर सेंसेक्स को दिया जाता है. सेंसेक्स को 100 के आधार मूल्य पर लॉन्च किया गया था.

ध्यान दें कि ये बेस वैल्यू सिर्फ शुरुआत को दर्शाता है.  आज की तारीख में सेंसेक्स का मूल्य इससे कहीं ज्यादा है, क्योंकि कंपनियों का प्रदर्शन समय के साथ बदलता रहता है.

निवेश में सेंसेक्स का महत्व (Significance of Sensex in Investment)

सेंसेक्स भारत की सबसे बड़ी और नामी कंपनियों को ट्रैक करता है.  इसमें निवेश करके, आप एक तरह से पूरे भारतीय शेयर बाजार से जुड़ जाते हैं.  मान लीजिए, आपने सीधे तौर पर किसी कंपनी में निवेश नहीं किया, लेकिन सेंसेक्स से जुड़े किसी फंड में पैसा लगाया, तो भी आप परोक्ष रूप से उन कंपनियों के प्रदर्शन से लाभ उठा सकते हैं.

विविधीकरण और उभरते बाजार का एक्सपोजर (Diversification and Emerging Market Exposure)

शेयर बाजार में सफलता का एक अहम नियम है – विविधीकरण (diversification).  मतलब, अपने अंडे को एक ही टोकरी में नहीं रखना चाहिए.  सेंसेक्स में निवेश करने से आप एक ही बार में 30 बड़ी कंपनियों में निवेश कर रहे हैं.  ये आपको विविधीकरण का फायदा दिलाता है.

साथ ही, भारत एक उभरता हुआ बाजार (emerging market) है.  सेंसेक्स में निवेश करके, आप इस तेजी से बढ़ते हुए बाजार का हिस्सा बन सकते हैं.

भारत की अर्थव्यवस्था को ट्रैक करने में भूमिका (Role in Tracking India’s Economy)

सेंसेक्स को भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अग्रणी संकेतक माना जाता है.  क्योंकि इसमें देश की सबसे बड़ी कंपनियां शामिल होती हैं, तो इन कंपनियों के प्रदर्शन से भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत का भी अंदाजा लगाया जा सकता है.  तो कुल मिलाकर, सेंसेक्स आपको भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझने में भी मदद करता है.

निष्कर्ष (Conclusion)

शेयर बाजार की दुनिया थोड़ी जटिल जरूर लगती है, पर ये उतनी भी डरावनी नहीं है, जितना हम सोच लेते हैं.  इस पूरी सीरीज में हमने सेंसेक्स को अच्छे से समझा.

सेंसेक्स और उसके प्रकारों का संक्षिप्त विवरण (Recap of Sensex and Its Types)
  • सेंसेक्स भारत के शेयर बाजार का एक प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स है, जो देश की 30 सबसे बड़ी कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है.
  • इसके अलावा, हमने शेयर बाजार के दूसरे तरह के इंडेक्सों को भी जाना, जैसे निफ्टी 50, सेक्टर-स्पेसिफिक इंडेक्स, और मार्केट-कैप-आधारित इंडेक्स.
शेयर बाजार सूचकांकों को समझने का महत्व (Importance of Understanding Stock Market Indices)

ये सूचकांक पूरे शेयर बाजार की तस्वीर दिखाते हैं.  इन्हें समझने से हमें बाजार की दिशा का अंदाजा लगाने में मदद मिलती है.  हालांकि, ये भविष्यवाणी नहीं करते, लेकिन हमें सही फैसले लेने में जरूर सहायता करते हैं.

निवेशकों को सूचित निर्णय लेने के लिए सेंसेक्स का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहन (Encouragement for Investors to Utilize Sensex for Informed Decision Making)

सेंसेक्स निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है.  इसे समझकर आप भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के रुझानों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं.  हालांकि, शेयर बाजार में हमेशा उतार-चढ़ाव रहता है, और सेंसेक्स सिर्फ एक सूचक है.  इसलिए, कोई भी फैसला लेने से पहले किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है.

ये पूरी सीरीज आपको सेंसेक्स को समझने में मददगार साबित हुई हो, ये  ही हमारी कोशिश थी!  अगर आपके कोई सवाल हैं, तो हमें कमेंट्स में जरूर लिखें.  हम जल्द ही जवाब देंगे.

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यह ब्लॉग केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह नहीं माना जाना चाहिए। कृपया कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले एक योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें

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